डॉ. जितेन्द्र पटवारी की ‘चक्रसंहिता’ से भारत को मिला वैश्विक सम्मान
विश्व की पहली चक्र हीलिंग पीएच.डी
जब प्राचीन भारतीय ज्ञान आधुनिक शैक्षणिक मान्यता से मिलता है, तो पूरी दुनिया ठहरकर देखती है। भारत ने एक बार फिर मानवता को मानसिक तनाव, उपचार, आंतरिक संतुलन और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में दिशा दी है – डॉ. जितेंद्र पटवारी के रूप में, जिन्हें चक्र हीलिंग में विश्व की पहली पीएच.डी. प्रदान की गई है।
बीमारी से प्रेरणा तक की यात्रा
लगभग 25 वर्ष पहले, भारत और लंदन – दोनों जगह के डॉक्टरों ने कहा था कि डॉ. पटवारी का रैमसे हंट सिंड्रोम से ठीक होना असंभव है। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। ध्यान, चक्र साधना और निरंतर आत्म-प्रयोग से उन्होंने स्वयं को पूर्णतः स्वस्थ कर लिया। यही मोड़ उनके जीवन का संकल्प बन गया – यह सिद्ध करने का कि ऊर्जा-आधारित चिकित्सा आधुनिक चिकित्सा प्रणाली की सहयोगी बन सकती है और हजारों लोगों को भावनात्मक तथा शारीरिक संतुलन लौटा सकती है।
वैश्विक मान्यता के साथ शैक्षणिक उपलब्धि
डॉ. पटवारी को यह विशिष्ट डॉक्टरेट ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कॉम्प्लिमेंटरी मेडिसिन्स (रूस) द्वारा ज़ोरास्ट्रीयन कॉलेज के माध्यम से प्रदान की गई – जो संयुक्त राष्ट्र (UN) से संबद्ध और UN Academic Impact Framework के अंतर्गत मान्यता प्राप्त संस्था है।
यह त्रि-संस्थागत मान्यता इस डिग्री को अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता प्रदान करती है। यह केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि समग्र इंटीग्रेटिव वेलनेस जगत के लिए भी एक नया मापदंड है – जहाँ भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान की पवित्रता और वैश्विक शैक्षणिक अनुशासन का सुंदर संगम दिखाई देता है।
चक्रसंहिता की रचना
डॉ. पटवारी के 25 वर्षों के शोध और अनुभव का परिणाम है चक्रसंहिता – जो मानव शरीर के सात ऊर्जा केन्द्रों को सरल, व्यावहारिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाने वाली मार्गदर्शिका है। यह पुस्तक पारंपरिक चक्र ज्ञान को मनोविज्ञान, जीवनशैली, सोच की आदतों और स्व-चिकित्सा तकनीकों से जोड़ती है। भारत और विदेशों में पाठक इसे “अपने अंदर की वायरिंग को समझने का मैनुअल” कहते हैं। जहाँ अन्य ग्रंथ केवल सिद्धांतों तक सीमित हैं, वहीं चक्रसंहिता भावनात्मक स्थिरता, शारीरिक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति के लिए दैनिक जीवन में अपनाए जाने योग्य साधन देती है।
भारतीय वेलनेस को विश्व स्तर पर ले जाते हुए
बेन्निट्टो लाइफ सॉल्यूशन्स प्रा. लि. के संस्थापक निदेशक के रूप में, डॉ. पटवारी ने चक्र-आधारित काउंसलिंग, हिप्नोथेरेपी और वेलनेस प्रोग्राम्स शुरू किए हैं, जिनसे अब तक हज़ार लोग लाभान्वित हुए हैं।
उनके सेशन – ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों – लोगों को तनाव, संबंधों और कार्यस्थल के दबाव से निपटने में मदद करते हैं, ताकि मन और शरीर की ऊर्जा संतुलित रह सके।
उनकी सादगीभरी हंसी में गहराई होती है – वे कहते हैं,
“जब लोग अपनी अंदरूनी वायरिंग समझ लेते हैं, तो वे ज़िंदगी में शॉर्ट-सर्किट होना बंद कर देते हैं।”
उनका यह हल्का हास्य और सहज संवाद हर मंच पर यादगार बन जाता है – भारत में भी, और विदेशों में भी।
भारत के लिए गर्व का क्षण
आज जब मानसिक स्वास्थ्य वैश्विक चिंता का विषय बना हुआ है, ऐसे में एक भारतीय विद्वान द्वारा चक्र विज्ञान में विश्व की पहली पीएच.डी. प्राप्त करना देश को सचेत जीवन के अग्रदूत के रूप में स्थापित करता है।
यह याद दिलाता है कि योग, आयुर्वेद और अब चक्र हीलिंग जैसी भारतीय परंपराएँ बीते युग की बातें नहीं, बल्कि आज की ज़रूरतें हैं।
संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध यह उपाधि इस तथ्य को और भी मज़बूत बनाती है – कि आध्यात्मिक समझ और वैज्ञानिक प्रमाणिकता साथ-साथ चल सकते हैं।

आगे की दिशा
डॉ. पटवारी शांत स्वर में कहते हैं –
“मेरा उद्देश्य है कि चक्र अवेयरनेस को जीवन कौशल के रूप में स्कूलों और कार्यस्थलों में सिखाया जाए। हीलिंग आख़िरी विकल्प नहीं, बल्कि रोज़ का अभ्यास होना चाहिए।”
वे लगातार लेखन, उन्नत ध्यान कार्यक्रमों और काउंसलर्स के मार्गदर्शन में सक्रिय हैं।
आज की दुनिया जब संतुलन खोज रही है, तब डॉ. जितेंद्र पटवारी की कहानी याद दिलाती है – “उत्तर हमेशा बाहर नहीं होते; कभी-कभी वे हमारे अपने देश में जन्म लेते हैं – और संयुक्त राष्ट्र भी उन्हें पहचान लेता है।”
डॉ. जितेंद्र पटवारी देश-विदेश में सेमिनार, कार्यशालाओं और सोशल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से प्रेरणा का दीप जलाते रहते हैं।
👉 संपर्क माध्यम
📱 व्हाट्सएप: +91 79845 81614
📧 ईमेल: jitpatwari@rediffmail.com